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Flying Rani (1959)

  • Release Date1959
  • GenreFantasy
  • FormatB-W
  • LanguageHindi
  • Shooting LocationPrakash Studio, Ashok Studio
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रियासत के कामों और राज्य की ज़िम्मेदारियों ने महाराज की तन्दुरुस्ती बरबाद कर दी थी - वह अपना स्वास्थ ठीक करने के लिये एक सुन्दर तथा हरियाली जगह पर चले गये - उनकी ग़ैरहाज़री में उनके छोटे भाई ठाकुर रामसिंह ने सेनापति की मदद से बग़ावत कर दी और हुकूमत पर कब्ज़ा कर लिया - जो लोग अब तक बड़े महाराज की वफ़ादारी का दम भरते थे उन पर सख़तियाँ शुरू हो गई - वफ़ादार मंत्री तथा उनके घरवालों यहाँ तक की खुद रानी साहबा की गिरफ़्तारी की आज्ञा दे दी गई - राज्य में कोई ऐसा न था जो ठाकुर रामसिंह का खुलकर मुक़ाबिला करता-लेकिन उस वक्त बहादुर लड़कियों की एक टोली जिसकी नायक फ्लाइन्ग रानी थी मैदान में आई और उसने ठाकुर रामसिंह के तमाम मन्सूबों को ख़ाक में मिला दिया - उन्होंने अपनी जान की बाज़ी लगा कर मंत्री तथा उसके घरवालों और रानी साहेबा की जान बचाई और उन्हें एक सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया।

जब बड़े महाराजा इस ज़ुल्म और ज़्यादती की ख़बर पाकर रियासत में वापिस आये तो उनकी जान पर हमला किया गया लेकिन "फ्लाइन्ग रानी" ने उन्हें बचाकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया।

एक तरफ़ तो बड़े महाराज और उनके वफ़ादार साथी इस फिकर में लग गये कि ठाकुर रामसिंह का मुक़ाबिला किस तरह किया जाये और ग़रीब प्रजा को उसकी ज़्यादतियों से किस तरह बचाया जाये - दूसरी तरफ़ ठाकुर रामसिंह और उसके ग़द्दार साथियों ने यह फैसला किया कि किसी न किसी तरह इस नई मुसीबत "फ्लाइन्ग रानी" से छुटकारा हासिल करके बड़े महाराज का रहा सहा असर भी हमेशा के लिये ख़तम कर दिया जाये- आख़िर में दुश्मनों की चालाकियाँ काम कर गईं और फ्लाइन्ग रानी को गिरफ़्तार करके उसे फाँसी का हुक्म सुना दिया गया - ज़ुल्म और ज़्यादती के साथ लड़ने वाली यह नेक और बहादुर लड़की कौन थी? उसने ज़ालिम रामसिंह का मुक़ाबला किस तरह किया? क्या वह नाकाम और नामुराद होकर हक़ और इन्साफ़ की राह में कुरबान हो गई।

इस गुथ्थी को सुलझाने के लिये आप 'देसाई फिल्म्स' का निराला तथा शान्दार तोहफ़ा "फ्लाइन्ग रानी" देखिये।

(From the official press booklet)

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